, नारियल के पेड़, तटों पर दूर तक फैले पाम, गदगद कर देने वाली पानी पर तैरती हाउसबोट, कई मंदिर, आयुर्वेद की सुंगध, दुर्बल झीलें या समुद्री झीलें, " title="केरल भारत के खूबसूरत शहरों में एक है.. केरल पर्यटन लगभग एक दूसरे के पर्यायवाची हैं, हरियाली, नारियल के पेड़, तटों पर दूर तक फैले पाम, गदगद कर देने वाली पानी पर तैरती हाउसबोट, कई मंदिर, आयुर्वेद की सुंगध, दुर्बल झीलें या समुद्री झीलें, " loading="lazy" width="100" height="56" />केरल भारत के खूबसूरत शहरों में एक है.. केरल पर्यटन लगभग एक दूसरे के पर्यायवाची हैं, हरियाली, नारियल के पेड़, तटों पर दूर तक फैले पाम, गदगद कर देने वाली पानी पर तैरती हाउसबोट, कई मंदिर, आयुर्वेद की सुंगध, दुर्बल झीलें या समुद्री झीलें,
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ये कहना गलत ना होगा कि,घूमने के शौकीनों के लिए केरल किसी स्वर्ग से कम नही है। यहां खूबसूरत वादियां, हिल स्टेशन..पानी में तैरते बोट सभी का मन मोह लेते हैं।इसी के साथ जो इतिहास को देखने और समझने में दिलचस्पी रखते हैं.उनके लिए भी केरल बेहद खास है..आप सोच रहें होंगे कैसे?
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तो बता दें,केरल में कई ऐसे खूबसूरत किले मौजूद है..जिनकी वास्तुकला देख आप हैरत में पड़ जायेंगे..तो बिना देरी किये आज आपको सैर कराते है..केरल के खूबसूरत किलों की
सेंट थॉमस किला
सेंट थॉमस किला भी केरल के कोल्लम का एक लोकप्रिय किला है जिसे एक थंगासेरी किले के नाम से जाना जाता है। इस किले के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण चीनियों द्वारा किया गया है। चीन के लोगों द्वारा इस किले के निर्माण का उद्देश्य पुर्तगाली हमलावरों से अपनी रक्षा करना था। हालांकि आज ये किला एक खँडहर है मगर यहां की खूबसूरती यहां आने वाले किसी भी पर्यटक को अपनी तरफ आकर्षित कर सकती है।
थालास्सेरी किला
थालास्सेरी किला ( तिलीचेरी किला ), एक ऐतिहासिक स्मारक है जिसे ईस्ट इंडिया कम्पनी के द्वारा 1708 में बनाया गया था। इस किले की औपनिवेशिक काल के दौरान व्यापारिक और अंग्रेजों की सैन्य गतिविधियों में प्रमुख भूमिका रही है। मुझापिलांगड़ तट के किनारे पर स्थित एक चट्टान पर बने इस किले के भीतर औपनिवेशिक शासन और मैसूर आक्रमण के कई किस्से और कहानियां शामिल हैं। किले की संरचना में विशाल दीवारें और अलंकृत नक्काशीदार दरवाजे शामिल हैं। इस किले में अरब सागर से जुड़ी हुई कई भीतरी गुप्त सुरंगें हैं।
PC: Mohamed images
पालक्कड़ किला
पालक्कड़ जिले की लोकप्रिय ऐतिहासिक इमारत है, जिसे टीपू के किले के नाम से भी जाना जाता है,सन् 1766 में मैसूर के महान राजा हैदर अली द्वारा निर्मित यह किला शहर के केन्द्र में स्थित है,ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार यह मैदान टीपू सुल्तान का अस्तबल था जहाँ पर सेनाओं के जानवर पाले जाते थे। इस किले तक सड़क द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। मैसूर के राजाओं द्वारा किले का उपयोग महत्वपूर्ण सैनिक गतिविधियों के लिये किया जाता था। किले के पास में एक खुला मैदान स्थित है जिसे स्थानीय लोग कोट्टा मैदानम् या किले का मैदान के नाम से जानते हैं।PC: Babug
पल्लिपुरम किला
केरल के एर्नाकुलम जिले में स्थित पल्लिपुरम किले का निर्माण 1503 में पुर्तगालियों द्वारा किया गया था। पुर्तगालियों द्वारा इस किले के निर्माण का उद्देश्य शत्रुओं से रक्षा था। हालांकि रख रखाव की कमी के चलते आज इस किले ने अपनी सुंदरता को खो दिया है मगर इसके बावजूद आज भी यहां ऐसा बहुत कुछ है जो किसी भी पर्यटक को मन्त्र मुग्ध कर देगा।PC:Callmeantz
बेकल किला
बेकल किला अंतहीन तरंगों की अनन्त प्रतिष्ठा के साथ ताड़ के वृक्षों की दो झालरदार तटों के बीच उन्नत रूप से खड़ा हुआ है। मिथकों के अनुसार यह किला चिरक्कल राजाओं के समय से है क्योंकि उन दिनों सुरक्षा की दृष्टि से किले बनाना एक आम बात थी। किले में प्रवेश का मार्ग आड़ा तिरछा होना और किले के आस पास खाइयों का होना इस बात की गवाही देता है। यह सुंदर किला खोज करने वालों को भी कई विकल्प उपलब्ध करता है। यह कई वर्षों से पर्यटकों एवं इतिहासकारों को आकर्षित कर रहा है। यह किला समुद्र की ओर से बनाया गया था । इसका बाहरी प्रमुख हिस्सा डूबा हुआ है और लहरें गढ़ तक पहुँचती हैं। 40 एकड़ भूमि पर फैला हुआ यह किला केरल राज्य का सबसे बड़ा किला है।
PC: Sindhuja0505
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