दुनिया के सबसे खूबसूरत स्थानों में शुमार और हिमालय की गोद में बसे भारत के सबसे सुन्दर राज्य जम्मू और कश्मीर को भला कौन नहीं जानता। जम्मू और कश्मीर अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिए दुनिया भर में अपना एक ख़ास मुकाम रखता है। गौरतलब है कि जम्मू और कश्मीर एक फेमस टूरिस्ट स्पॉट है जहां वेकेशन के लिए साल में कभी भी जाया जा सकता है। यह जगह प्रकृति के प्रेमियों के अलावा एडवेंचर के शौक़ीन लोगों के दिलों में एक खास मुकाम रखती है।
ये डेस्टिनेशन इतना खूबसूरत है की मुग़ल बादशाह जहांगीर ने इसे "धरती पर स्वर्ग" का दर्जा दिया था। अपने खूबसूरत नज़ारों के अलावा ये जगह शानदार पर्वत श्रृंखलाओं, क्रिस्टल रुपी स्पष्ट धाराओं, मंदिरों और ग्लेशियरों के और बगीचों के कारण भी पर्यटन की दृष्टि से विशेष महत्त्व रखती है।
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भारत के आलवा दुनिया के एक प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाने वाला जम्मू और कश्मीर वो राज्य है जहां लगभग हर रोज़ ही हजारों लोग अपनी छुट्टियां मनाने आते हैं। आज अपने इस आर्टिकल में हम आपको अवगत कराने वाले हैं जम्मू और कश्मीर के उन स्थानों से जहां जुलाई और अगस्त के बीच आप अपनी छुट्टियाँ मनाने जा सकते हैं। तो अब देर किस बात की आइये जानें कि पूरे जम्मू और कश्मीर में जुलाई और अगस्त माह में छुट्टी मनाने कहां कहां जा सकते हैं आप।
अल्छी
लद्दाख के लेह जिले में स्थित एक प्रसिद्ध गाँव है- अल्छी। हिमालय पर्वत क्षेत्र के बीच,लेह से 70कि.मी. दूर यह गाँव सिंधु नदी के किनारे है। यह गाँव अल्छी नाम के एक प्राचीन मठ के लिए जाना जाता है। अल्छी मठ, लद्दाख के प्रसिद्ध पर्यटन केंद्रों में से एक है। प्रकृति के बीच स्थित अल्छी गाँव, एक सुंदर स्थान है। इस जगह पर पर्यटक मठ के जीवन को पास से महसूस कर सकते हैं।
फोटो कर्टसी - Davin7
अल्छी मठ
अल्छी गाव में स्थित अल्छी मठ, लद्दाख का सबसे पुराना मठ है। सिंधु नदी के किनारे स्थित इस मठ को अल्छी चोसखेर तथा अल्छी गोम्पा के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि बौद्धिक ग्रंथों का संस्कृत से तिब्बती में अनुवाद करने वाले रिनचेन ज़ैंगपो ने इस मठ को 958 और 1055 के बीच बनवाया था। इस मठ की विशेषता यह है कि यह समतल ज़मीन पर बना हुआ है।
फोटो कर्टसी - Fulvio Spada
अमरनाथ
अमरनाथ हिन्दी के दो शब्द "अमर" अर्थात "अनश्वर" और "नाथ" अर्थात "भगवान" को जोडने से बनता है। श्रीनगर से 145 कि.मी दूर स्थित अमरनाथ भारत का प्रमुख धार्मिक स्थान है। यह स्थान समुंदरी तट से 4175 मीटर की ऊंचाई पर है, और यहां का मुख्य आकर्षण "बर्फ का प्राकृतिक शिवलिंग" जो हिंदू भगवान शिव का प्रतीक है, इसे देखने हजारों श्रद्धालु आते हैं। इस स्थान का वर्णन संस्कृत, कि 6 वी सदी की निलामाता पुराण में किया गया है।
फोटो कर्टसी - Gktambe
शेषनाग झील
पहलगाम से 27 कि.मी दूर और 3658 मीटर की ऊँचाई पर स्थित शेषनाग झील, अमरनाथ के प्रमुख आकर्षक स्थल में से एक है। इस स्थान का नाम हिन्दू धर्म के सात सिरों वाले नागराज, शेषनाग पर रखा गया है, और तत्व है कि इस झील के पास सात पहाडियाँ है। पहलगाम से शेषनाग जाने के लिए लगभग दो दिनों लग जाते है। ज्ञात हो की सर्दियों में ठंड के कारण जून महीने तक यह झील बर्फ की चादर में ढक जाती है।
फोटो कर्टसी - Nitin Badhwar
अनंतनाग
अनंतनाग जिला जिसे जम्मू और कश्मीर की व्यापारिक राजधानी कहा जाता है, कश्मीर घाटी के दक्षिणी पश्चिमी भाग में स्थित है। यह क्षेत्र कश्मीर घाटी के विकसित क्षेत्रों में से एक है। ईसा पूर्व 5000 में यह क्षेत्र बाज़ार से भरा शहर बन गया और इसे जल्दी विकसित होने वाले शहर का शीर्षक प्राप्त हुआ। यह शहर विभिन्न शहरों जैसे श्रीनगर, कारगिल, पुलवामा, डोडा और किश्तवाड़ से घिरा हुआ है।
फोटो कर्टसी - Ankur P
ऐशमुकाम
ऐशमुकाम एक छोटा सा मंदिर है जिसे श्रीनगर से 86 किमी. दूर सूफी बाबा जैना-उद-दीन वाली के सम्मान में बनाया गया था। मंदिर में बरामदा, गुफा और गर्भ ग्रह भी बना हुआ है। साल के अप्रैल महीने में यहां एक सप्ताह तक चलने वाले त्यौहार का आयोजन किया जाता है जिसे जूल फेस्टिवल के नाम से जाना जाता है।
फोटो कर्टसी - Rituparno Sen
बारामुला
बारामुला जिला जम्मू और कश्मीर राज्य के 22 जिलों में से एक है जिसे आगे 8 तहसीलों और 16 खण्डों में बांटा गया है तथा जो लगभग 4190 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह जिला पश्चिमी तरफ से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के साथ अपनी सीमाओं को बांटता है। बारामुला, कुपवारा शहर के दक्षिण में और पुंछ और बुदगाम के उत्तर में स्थित है और श्रीनगर और लद्दाख इसकी पूर्वी ओर हैं।
फोटो कर्टसी - Aehsaan
वूलर झील
हरमुक पर्वत के आधार में तथा सोपोर और बांदीपोर शहरों के बीच स्थित वूलर झील को एशियाई महाद्वीप की सबसे बड़ी ताजे पानी झील घोषित किया गया है। वूलर झील 200 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फ़ैली हुई है तथा इसकी लम्बाई 24 किलोमीटर और चौड़ाई 10 किलोमीटर है। यह झील सनसेट पॉइंट के लिए भी प्रसिद्द है।
फोटो कर्टसी - Maxx786
द्रास
द्रास, जिसको 'लदाख का प्रवेश द्वार' भी कहा जाता है, जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में स्थित है। यह शहर समुद्र तल से 3280 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इसे साईबेरिया के बाद दूसरी सबसे ठंडी बसी हुई जगह माना जाता है। कारगिल से करीबन 62 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, यह जगह जहाँ 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई हुई थी, द्रास, एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है।
द्रास वार मेमोरिअल
द्रास वार मेमोरिअल जिसे बिम्बत वार मेमोरिअल भी कहते हैं, द्रास का मुख्य आकर्षण है। यह मेमोरिअल सिटी सेंटर से, टाईगर हिल की तरफ से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। इस मेमोरिअल के प्रवेश द्वार पर महान हिंदी फ़िल्म अभिनेता, अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन की कविता अंकित है।
फोटो कर्टसी - Rohan
गुलमर्ग
गुलमर्ग का अर्थ है "फूलों की वादी"। जम्मू - कश्मीर के बारामूला जिले में लग - भग 2730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गुलमर्ग, की खोज 1927 में अंग्रेजों ने की थी। यह पहले "गौरीमर्ग" के नाम से जाना जाता था, जो भगवान शिव की पत्नी "गौरी" का नाम है। फिर कश्मीर के अंतिम राजा, राजा युसूफ शाह चक ने इस स्थान की खूबसूरती और शांत वारावरण में मग्न होकर इसका नाम गौरीमर्ग से गुलमर्ग रख दिया।
फोटो कर्टसी - Abhishek Shirali
निंगली नल्लाह
निंगली नल्लाह गुलमर्ग से 10 कि.मी दूर बहती एक सुंदर झील है, जिस में अफरात पहाड़ी की पिघलती बर्फ अलपाथर झील से होकर निंगली नल्लाह में बहती है। यह आगे झेलम में सौपर नदी संग समा जाती है। इस नदी का पानी बर्फ की तरह ठंडा होता है। इस नल्लाह के साथ साथ पहाड़ों पर छाई हरियाली, बागों में खिले फूल, बर्फ से ढक्की पहाड़ियां और देवदार के पेड, पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
फोटो कर्टसी - Girish Suryawanshi
लद्दाख
इंडस नदी के किनारे पर बसा ‘लद्दाख' , जम्मू और कश्मीर राज्य का एक प्रसिद्ध पर्यटन-स्थल है। इसे, लास्ट संग्रीला, लिटिल तिब्बत, मून लैंड या ब्रोकन मून आदि के नाम से भी जाना जाता है। मुख्य शहर ‘लेह' के अलावा, इस क्षेत्र के समीप कुछ प्रमुख पर्यटन-स्थल जैसे, अलची, नुब्रा घाटी, हेमिस लमयोरू, जांस्कर घाटी, कारगिल, अहम पैंगांग त्सो, और त्सो कार और त्सो मोरीरी आदि स्थित हैं ।
फोटो कर्टसी - tiendat dinh
शे गोम्पा
शे गोम्पा की नींव देल्दन नान्ग्याल के द्वारा रखी गई, यह लेह के दक्षिणी भाग से 15 किमी की दूरी पर स्थित है। बैठे हुए बुद्ध की एक बड़ी तांबे और पानी चढ़े सोने की मूर्ति इस गोम्पा अंदर प्रतिष्ठित है इसे लद्दाख क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति माना जाता है। मठ का निर्माण वर्ष 1655 में राजा देल्दन नामग्याल द्वारा किया गया था, उनके पिता संजय नामग्याल के सम्मान में इसे ‘लाछेन पाल्जीगों' के नाम से भी जाना जाता है।
फोटो कर्टसी - Karunakar Rayker
लेह
लेह शहर इंडस नदी के किनारे कराकोरम और हिमालय की श्रृंखला के बीच स्थित है। इस जगह की प्राकृतिक सुन्दरता देश भर से पर्यटकों को साल के बारहों महीने अपनी ओर खींचती है। इस शहर में ज़्यादातर हिस्से में मस्जिद और बौद्ध स्मारक हैं जो सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दी में बनाये गए थे। एक बहुत पुराना, नामग्याल डायनेस्टी का राजा सेंग्गे नामग्याल का नौ मंजिल का महल, इस जगह का मुख्य आकर्षण है जो मेडिएवल ऐरा के वास्तुशिल्पीय ढंग को दर्शाता है।
थिकसे मठ
थिकसे मठ लेह से 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जो मध्यकालीन युग को दर्शाता है। एक एक 12 मंजिला ऊंची ईमारत है जो इलाके का सबसे बड़ा मठ है। यहाँ आने वाले पर्यटक सुन्दर और शानदार स्तूप, मूर्तियाँ, पेंटिंग,थांगका और तलवारों को देख सकते हैं जो यहाँ के गोम्पा में राखी हुई हैं । यहाँ पर एक बड़ा सा पिलर भी है जिसमें भगवान बुद्ध के द्वारा दिए गए सन्देश और उपदेश लिखे हुए हैं।
फोटो कर्टसी - Ritesh Niranjan
नुब्रा घाटी
नुब्रा घाटी नुब्रा घाटी, जो मूलतह ल्दुम्र के नाम से जाना जाता था, का मतलब 'फूलों की घाटी' है, जो समुद्र तल से 10,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यह क्षेत्र लद्दाख के बाग के नाम से जाना जाता है। गर्मियों के दौरान पर्यटकों को गुलाबी और पीले जंगली गुलाबों को देखने का मौका मिलता है जो कि इस क्षेत्र में उगते हैं। इस गंतव्य का इतिहास 7वीं शताब्दी ई. पूर्व का है जब चीनी, मंगोलिया और अरब यहाँ आक्रमणकारियों के रूप में आये थे।
फोटो कर्टसी - vaidyanathan
खार्दूंग ला दर्रा
पर्यटकों को नुब्रा घाटी तक पहुंचने के लिए खार्दूंग ला दर्रा ही एक मार्ग है। दर्रा, जो अन्यथा के-टॉप के नाम से जाना जाता है, 'लोअर कासेल का दर्रा' के नाम से जाना जाता है। 18,380 फुट की ऊंचाई पर स्तिथ, खार्दूंग ला दुनिया का सबसे ऊँचा गाडी चलाने योग्य सड़क के रूप में घोषित किया गया है।
पांगोंग
पांगोंग त्सो हिमालय में एक झील है जिस्की उचाई लगभग 4500 मीटर है। यह 134 कीमी लंबी है और भारत के लद्दाख़ से तिब्बत पहूँचती है। जनवादी गणराज्य चीन में झील की दो तिहाई है। इसकी सबसे चौड़ी नोक में सिर्फ़ 8 कीमी चौड़ी है।
फोटो कर्टसी - Praveen
पांगोंग झील
शीतकाल में, नमक पानी होने के बावजूद, झील संपूर्ण जमती है। आपको बता दें कि लेह से पांगोंग त्सो तक आप सड़क मार्ग द्वारा पांच घंटे में पहुँच सकते हैं।
फोटो कर्टसी - Koshy Koshy