राजस्थान किलों का देश है..जिसे देखने पूरे साल देशी समेत विदेशी पर्यटक पहुंचते रहते हैं। आपने अभी तक राजस्थान स्थित कई किलों को देखा होगा..इसी बीच आज मै आपको राजस्थान के एक ऐसे गुमनाम पर्यटन स्थल से रूबरू कराने जा रहीं जा रहीं हूं,जिसका नाम शायद ही आपने सुना होगा। इस जगह का नाम है झालावाड़।
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झालावाड़ का इतिहास
ऐतिहासिक रूप से झालावाड़ शहर का निर्माण 1791 ई. में झाला ज़ालिम सिंह द्वारा हुआ था, जो उस समय कोटा जिले के दीवान थे। उनका सपना इस जगह को सैन्य छावनी के रूप में विकसित करना था जिससे मराठा घुसपैठियों से इस क्षेत्र की रक्षा हो सके। बाद में अंग्रेजों ने इस स्थान को झाला ज़ालिम सिंह के पोते झाला मदन सिंह को सौंप दिया। वे झालावाड़ के पहले शासक बने और उन्होंने 1838 से 1845 तक इस स्थान पर राज्य किया।
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अगर आपको इतिहास को जानने की रूचि है तो आपको झालावाड़ की सैर जरुर करनी चाहिए।इसके अलावा आप यहां बौद्ध गुफाओं और स्तूपों की यात्रा भी कर सकते हैं। झालावाड़ के बारे में ज्यादा जानने के लिए नीचे दी गयी स्लाइड्स पर डाले एक नजर
झालावाड़ किला
झालावाड़ किले झालावाड़ शहर के मध्य स्थित है,जिसेगढ़ महल के नाम से भी जाना जाता है। इस किले को 1840-1845 में महाराजा राणा मदन सिंह ने बनवाया था।
चन्द्रभागा मंदिर
चन्द्रभागा मंदिर झालावाड़ से लगभग 7 किमी दूर स्थित हैं। यह किला छठवीं से चौदहवीं शताब्दी के मध्य बने हुए ये मंदिर पुराने दिनों की कला का उत्तम उदाहरण है। ख़ूबसूरती से गढ़े गए स्तंभ और मेहराब के आकर के प्रवेश द्वार बीते हुए युग के कलाकारों की कलात्मक उत्कृष्टता को दर्शाता है। इसी के साथ पर्यटक यहां श्री द्वारकाधीश मंदिर, शांतिनाथ जैन मंदिर और पद्मनाथ मंदिर भी देख सकते हैं।PC:Chinumani
जैन श्वेतांबर नागेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर
जैन श्वेतांबर नागेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर झालावाड़ के सुदूर दक्षिणी भाग में स्थित है और शहर से 150 किमी की दूरी पर स्थित है। यह पवित्र स्थल भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित है जिसका निर्माण गुजरात, महाराष्ट्र और मालवा (मध्य प्रदेश) के जैन समुदाय द्वारा किया गया है। इस मंदिर में रखी गई भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ती लगभग 1000 साल पुरानी है। इस जगह का भ्रमण कर रहे पर्यटक धर्मशाला में सस्ती दरों पर भोजन और आवास का लाभ उठा सकते हैं।
गागरों किला
गागरों किला झालावाड़ से 12 किमी की दूरी पर स्थित है। यह तीन ओर से अहू और काली सिंध के पानी से घिरा हुआ है। पानी और जंगलों से सुरक्षित यह किला कुछ ही ऐतिहासिक स्थलों में से एक है जिसमें ‘वन' और ‘जल' दुर्ग दोनों हैं।किले के बाहर यात्री सूफी संत मिट्ठे शाह की दरगाह देख सकते हैं। प्रत्येक वर्ष मोहर्रम के अवसर पर यहाँ एक मेला आयोजित किया जाता है। संत पीपा जी का मठ भी, जो संत कबीर के समकालीन के रूप में प्रसिद्ध है, किले के पास स्थित है।
भीमसागर बाँध
भीमसागर बाँध उजाड़ नदी पर बनाया गया है,जोकि झालावाड़ से 24 किमी दूर स्थित है। यह मौ बोरदा के खंडहरों के पास है जो खिची चौहानों की राजधानी हुआ करती थी। मंदिरों, महलों, और मुसलमानों के लिए मस्जिदों और राजपूतों के मलबे इस क्षेत्र में पाए जाते हैं। इसके अलावा पर्यटक यहाँ पिकनिक का आनन्द भी उठा सकते हैं।
बौद्ध गुफाएं और स्तूप
झालावाड़ शहर से 90 किमी दूर बौद्ध गुफाएं और स्तूप झालावाड़ के मुख्य आकर्षण हैं। ये चट्टानों में काटी गई मौलिक गुफाएं कोलवी गाँव में खुदाई के दौरान मिली थीं। पुरातत्व और इतिहास की दृष्टी से ये गुफाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं। भगवान बुद्ध की गजरूप संरचना और स्तूप पर सुंदर नक्काशी गुफाओं की सुंदरता को और बढ़ाते हैं। इस स्थान के मूल निवासियों में बौद्ध संस्कृति की छाप देखी जा सकती है।
शासकीय संग्रहालय
पर्यटक इस संग्रहालय में दुर्लभ पांडुलिपियां, सुंदर मूर्तियाँ, पुराने सिक्के और चित्र देख सकते हैं। इसके अलावा आप यहाँ 5वीं और 7वीं शताब्दी के प्राचीन शिलालेख भी देखे जा सकते हैं। इस संग्रहालय में खुदाईके दौरान मिली कई अलग अलग मूर्तियाँ इस संग्रहालय में रखा गया है।
कैसे पहुंचे झालावाड़
झालावाड़ वायुमार्ग, रेलमार्ग और सडक द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
हवाई मार्ग द्वारा
कोटा का हवाईअड्डा झालावाड़ के सबसे पास का हवाईअड्डा है जो 82 किमी की दूरी पर स्थित है। यह हवाईअड्डा भारत के सभी बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
ट्रेन द्वार
रामगंज मंडी रेलवे स्टेशन झालावाड़ का सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन है। झालावाड़ जाने के लिए यात्रियों को स्टेशन और हवाईअड्डे से टैक्सी और कैब्स उपलब्ध हैं।
सड़क द्वारा
यह जिला निजी और राजस्थान परिवहन की बसों द्वारा आस पास के शहरों जैसे कि जयपुर, कोटा और बूंदी से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
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